भूलने वाले से कोई कह दे जरा...
इस तरह याद आने से क्या फायदा ...
चार तिनके जला के क्या मिल गया...
मिट न सके जहाँ से मेरे निशाँ...
मुझपे बिजलियाँ गिराओ तो सही...
आशियाने पे गिराने से क्या फायदा...
पहले दिल को बुरे से कर पाक तुम...
फ़िर कुलु सी यकिदत से कर जुस्तजू...
ऐसे सजदे से अल्लाह मिलता नहीं...
हर जगह सर झुकने से क्या फायदा...
तुमन मूसा को नाहक तकलीफ दी...
लुफ्त आता अगर याद करती हुई...
जिनकी आँखों ने ताबे नजारा न हो...
उनको जलवा दिखने से क्या फायदा...
मुन्नी बेगम...
1 comment:
bahot khub sangeetmay rachana dhero badhai aapko.....
arsh
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