कह दो वोह दिल की बातें जो तुम्हारे दिल में आती हैं...
मुझे समझ में जो आती नहीं और जो तुम्हे सताती हैं...
बेकरारी रातो की कुछ खयालो का ही सिला होगा...
कह दो उन अफसानो को जो तुम्हें ये रात सुनाती हैं...
पल पल में टीज ने तेरे इस जेहेन को झकझोरा है ...
न ख़ुद सोती है याद मेरी और ना ही तुम्हे सुलाती है...
सालो के मलहम ने तेरे चाक जो सारे सिल पाये...
मुझसे जुड़ी ये कसक भी तुझको वहीँ वहीँ दुखाती है...
अक्ल की बात सदा ही तेरे लबों तक पहुँची है ...
अब वो कह दे जो हर पल तेरे दिल में उभर के आती है...
कह दो वो दिल की बातें जो तुम्हारे दिल में आती हैं....
मुझे समझ में जो आती नहीं और जो तुम्हे सताती हैं...
भावार्थ...
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