दुःख और सुख के रास्ते, बने हैं सब के वास्ते ...
जो ग़म से हार जाओगे, तो किस तरह निभाओगे...
खुशी मिले हमें के ग़म, जो होगा बाँट लेंगे...
हम्मुझे तुम आजमाओ तो ज़रा नज़र मिलाओ तो...
ये जिस्म दूर हैं मगर, दिलों में फासला नहीं...
जहाँ में ऐसा कौन है, कोई जिसको ग़म मिला नहीं...
तुम्हारे प्यार कि क़सम, तुम्हारा ग़म है मेरा ग़म...
न यूं बुझे बुझे रहो, जो दिल कि बात है कहो...
जो मुझे से भी छुपाओगे, तो फिर किसे बताओगे ...
मैं कोई गैर तो नहीं, दिलाऊं किस तरह यकीन...
कोई तुमसे मैं जुदा नहीं, मुझे से तुम जुदा नहीं...
साहिर लुधियानवी...
1 comment:
साहिर जी को पढवाने के लिए धन्यवाद
Post a Comment