मेरी जिंदडी का सरमाया तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
सोनिये तू !!! सोनिये तू !!!
फिजा में बिखरी ताजगी है तू...
हवाओ में सिमटी सादगी है तू ...
फलक तक सजी बहार तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
मेरी जिंदडी का सरमाया तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
सोनिये तू !!! सोनिये तू !!!
दिल से उठी एक मीठी आवाज़ है तू...
साँसों से उठाये झंकार वो साज है तू...
गीत सा बना मेरा अफ़कार तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
मेरी जिंदडी का सरमाया तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
सोनिये तू !!! सोनिये तू !!!
मेरे लिए तो खुदा की खुदाई है तू...
मेरी तमन्नाओ की परछाई है तू...
कोरे कागज़ पे रंगों की खिजा तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
मेरी जिंदडी का सरमाया तू है सोनिये...
मेरी मदहोशी का वो राज तू है सोनिये...
सोनिये तू !!! सोनिये तू !!!
भावार्थ...
एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Tuesday, December 2, 2008
सोनिये तू !!!
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