Thursday, December 4, 2008

बहुत अच्छा किया

देर से ही सही तुम आए ,बहुत अच्छा किया,
बाद लंबे वक्त के भाये , बहुत अच्छा किया।


हो गए थे गुम की अपनी ही सुरंगों-बीच हम,
खोजकर हमको यहाँ लाये ,बहुत अच्छा किया।


गरजने सुनता रहा कब से तुम्हारी दूर से,
आज जल बनकर यहाँ छाये बहुत अच्छा किया।


खो गया था यार तुम पर सारे शिकवों का असर
आज अरसे बाद शर्माए बहुत अच्छा किया।


नदी , नाले , पर्वतों ने रास्ते रोके बहूत ,
भूल तुम हमको नही पाये बहुत अच्छा किया।

Dr.Ramdarash Mishr.

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