तुम बिन जीवन कैसा है
माँ बिन बचपन जैसा है।
माँ बिन बचपन कैसा है
तुलसी बिन आँगन जैसा है।
तुलसी बिन आँगन कैसा है
सूरत बिन दर्पण जैसा है।
सूरत बिन दर्पण कैसा है
बादल बिन सावन जैसा है।
बादल बिन सावन कैसा है
माँ बिन बचपन जैसा है
माँ बिन बचपन कैसा है
तुम बिन जीवन जैसा है।
1 comment:
Very Nice Poetry !!!
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