आज फ़िर वही अपनों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
मेरा तनहा आगोश,मेरी तन्हा बाहें...
मेरा तनहा ख्वाब, मेरी तनहा राहें...
तन्हा है आसमान तन्हा है ये जमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
आज फ़िर वही अपनों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
रिश्तो मैं पली जिंदगी अकेली है...
क्या चाहिए मुझे ये भी एक पहेली है...
में गुमशुदा हूँ ख़ुद में कहीं सहमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
आज फ़िर वही अपनों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
याद आते ही ये अश्क बह जाते हैं...
उनके न होने के निशाँ रह जाते हैं...
मुझे सुलाने को रह गई ये रात थमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
आज फ़िर वही अपनों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
न हवा का रंग सुहाए न खिजा का...
न बूंदों का संग सुहाए न फिजा का...
आज फ़िर वही एहसासों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
आज फ़िर वही अपनों की कमी...
आज फ़िर वही पलकों की नमी...
भावार्थ...
(Dedicated to one of my friends !!!)
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