Friday, December 19, 2008

तुम पूछो और में न बताऊँ

तुम पूछो और में न बताऊँ ऐसे तो हालत नहीं हैं...
एक जरा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं है...

किसको ख़बर थी सांवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं....
सावन आयन लेकिन अपनी किस्मत में बरसात नहीं...

टूट गया जब तो फ़िर साँसों का नगमा क्या माने...
गूँज रही हैं क्यों शहनाई जब कोई बारात नहीं हैं...

मेरे ग़मगीन होने पे अहबाब हैं यु हैरान कतील ....
जैसे में पत्थेर हूँ मेरे सीने में जज्बात नहीं...

कातिल शिफई...

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