Friday, December 19, 2008

लज्ज़त-ऐ-गम बढ़ा दीजिये...

लज्ज़त-ऐ-गम बढ़ा दीजिये...
आप यू मुस्कुरा दीजिये...
कीमत-ऐ-दिल बता दीजिये...
ख़ाक ले कर उड़ा दीजिये...
आप अंधेरे में कब तक रहे...
फ़िर कोई घर जला दीजिये...
चाँद कब तक गहन में रहे...
आप जुल्फें हटा दीजिये...
मेरा दामन बहुत साफ़ है...
कोई तोहमत लगा दीजिये...
एक समन्दर ने आवाज दी...
मुझको पानी पिला दीजिये...
लज्ज़त-ऐ-गम बढ़ा दीजिये...
आप यू मुस्कुरा दीजिये...

मुन्नी बेगम...








1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया गजल प्रेषित की।