परछाई की शख्सियत क्या है।
साया जो आकार बदलता रहता है।
उस दूर चमकते तारे के साथ।
अपनी जगह बदलता रहता है।
परछाई की शख्सियत क्या है।
एक काला शख्स।
जिसका चेहरा नहीं है।
जो चलता भी है लेकिन।
फ़िर भी जिंदा नही है।
परछाई की शख्सियत क्या है।
एक दोस्त है जो हमेशा।
वजूद के साथ रहता है।
जमीन पे पड़ा हुआ है।
पर पैरो को छूता सा है।
परछाई की शख्सियत क्या है।
कविताओं में इसको हमेशा.
सबसे करीबी का दर्जा है.
साँस यह नहीं लेती लेकीन।
इसको जीने का दर्जा है।
परछाई की शख्सियत क्या है।
2 comments:
bahut khoob..good one!
Thnx pandey !!!
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