कलियुग आ गया लगाता है।
हया बेपर्दा हुई है बाज़ार में।
रिश्ते तुल रहे है यहाँ पैसो में।
कल्पना मशगूल है चोरी में।
कलियुग आ गया लगता है।
तन्हाई बिखरी है मयखाने में।
मेहनत बंद हुई कारखानों में।
लक्ष्मी बंद खरीदे मकानों में।
कलियुग आ गया लगता है।
रात दिन का काम भी करती है।
सड़क अंजाम का काम भी करती है।
समय का जैसे अकाल आ गया है।
कलियुग आ गया लगता है।
पागल सा लगता हर आदमी है।
जानवर सा लगता हर आदमी है।
जवानी में बूढा लगताहर आदमी है।
कलियुग आ गया लगता है।
क्या पाना है उसको पता नहीं।
क्या शान है उसको पता नहीं।
मकसद जीने का उसको पता नहीं।
कलियुग आ गया लगता है।
बैचैनी बसती है साँसे की जगह।
बेईमानी बसती है खून की जगह।
बेशर्मी बसती है मांस की जगह।
कलियुग आ गया लगता है।
भावार्थ
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