वो कुछ नहीं कहती लब्जो से लेकिन।
में उसकी हर अनकही बात जानता हूँ।
ये तो चर्चे हैं धुएँ की तरह फैले हैं यहाँ ।
कहाँ लगी है आग में ये जानता हूँ।
वो हया से छुपाती है सारे ख्वाब अपने।
में उसके दिल में दबे अरमान जानता हूँ।
वो भुला देगी कहती रही जुदा होने पर।
पर मैं अपने रिश्तो की कशिश जानता हूँ।
कौन सा चेहरा दिखाऊँ तुझको बता ।
में तो ये चेहरा बदलना जानता हूँ।
भावार्थ...
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