एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Friday, March 7, 2008
जिंदगी कितनी बदल गई ।...
हुस्न की दिलकशी जाने लगी है। प्यार की रवानी जंग खाने लगी है। अदाओं ने खंजेर लिए हैं उधार। शोखियाँ कत्ल करके हुई है फरार। वफ़ा घूमती है दर-दर यहाँ। नजाकत है गुमराह यहाँ। आखें साजिश में लगी आज कल। लब्ज़ झूट बुनने लगे आज कल। जिंदगी कितनी बदल गई ।...
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