Wednesday, March 5, 2008

अब मैं भी अपने बारे में यही ख्याल रखता हूँ।

पहले तो मेरे दोस्त कहते थे कि मैं अजीब सा हूँ।
अब मैं भी अपने बारे में यही ख्याल रखता हूँ।

जिन दोस्तो के साथ मैंने बेहिसाब खुशियाँ बाटी है।
उनके दिए उधार का मैं अब ख़ुद हिसाब रखता हूँ।

मेरे अपने न जाने किस बात का बुरा मान जाए।
इसलिए मैं अपनी जुबान पे भी लगाम रखता हूँ।

नाम किसी का दूसरो में जेहर भर देता है सुना है ।
इसलिए मैं कहीं अपने नाम को गुमनाम रखता हूँ।

कोई भी लूट सकता है तुम्हारी खुशियों को यहाँ।
तभी अपनी खुशियों को मैं दिलमें छुपा के रखता हूँ।

सुना है लोग बीमार लोगो से कुछ दूर ही रहते हैं।
इसलिए मैं अपनी तबियत कुछ नासाज़ रखता हूँ।
भावार्थ...

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