आज तन्हाई बोली।
तुम उदास क्यों हो?
मुझसे नाराज क्यों हो?
मैंने न कभी तुमको धोका दिया है।
तुम जैसे हो तुमको अपना लिया है।
तुम मुझे तो बताओ।
कोई भी बात न छुपाओ।
मैंने हर बात तो तुम्हारी सुनी है।
कोई भी कमी न तुम में चुनी है।
मैंने हमेशा तुम ही को चाहा।
अक्स तेरा मेरे दिल में समाया ।
मैंने बेवफाई का नाम न लिया है।
और तेरा संग मैंने हमेशा दिया है।
आज तन्हाई बोली।
फिर तुम मुझे छोड़ कर आज क्यों जा रहे हो।
क्यों किसी पत्थर से फिर अपना दिल लगा रहे हो।
भावार्थ ....
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