लहरों की खातिर आज साहिल डूब जायेगा।
इस जिस्म को ख़ुद खुदा उसकी रूह से मिलाएगा।
में तो इसिलए चौराहे पे खड़ा हूँ आकर।
पता नहीं वो लौटकर किस रास्ते से आएगा।
सदियों का गम मैंने सीने में समेट के रखा है।
उम्मीद है कि वो एक बार तो मुसकराएगा।
अब तो उम्मीद सिर्फ़ उस कफ़न की बची है।
सुना है वो यहाँ सफ़ेद चादर उढाके जायेगा।
ऐ दोस्त इस मौत की दावा ला के दे दे मुझे।
वरना उससे मिलने का वादा टूट जाएगा।
भावार्थ...
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