रात ठंडी थी और में अजनबी था उसके लिये।
वो ठिठुरती रही, और सोचती रही कि।
मेरे आगोश में आने के लिये उसको बेहया बनना होगा !!!
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मैंने उसको देखा भी नहीं ठीक से, अँधेरा था।
उसने भी सूरत छुपानी चाही झिझक कर।
पर बिजली की कड़क उसकी एक झलक दिखला ही गई !!!
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साँस रुक सी गई पल भर के लिये।
सिरहन दौड़ गई भीतर नसों में उसकी खुशबू से।
कभी सोचा भी नहीं था, की उस बेवफा से ऐसे मिलाएगा खुदा !!!
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भावार्थ ...
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