ये खामोश सी हार दिलकश बड़ी है।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
बेकरार भी है न जाने क्यों ये ।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
तोड़ देती है मेरा दिल यह हर रोज ।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
छोड़ देती है मुझे मझधार में ये।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
में इसको चाह कर भी नहीं छोड़ सकता।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
ये तो अब बन चुकी मेरी तकदीर है।
बिल्कुल मेरे महबूब की तरह।
भावार्थ ...
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