एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
आप ने सही कहा है । यह है समाजवाद का सच्चा उदाहरण । आप का रजी चन्द्रशॆखर http://rajichandrasekhar.wordpress.com/2008/02/13/%e0%a4%85%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a4%9c-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a4%b2%e0%a4%be/
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आप ने सही कहा है । यह है समाजवाद का सच्चा उदाहरण ।
आप का
रजी चन्द्रशॆखर
http://rajichandrasekhar.wordpress.com/2008/02/13/%e0%a4%85%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a4%9c-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a4%b2%e0%a4%be/
Thanx Raji Chandra sekhar...
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