तन्हाई का आलम यू अब पनपने लगा है।
खालीपन का शोर अब मुझे जचने लगा है।
जोड़ने में बिताये जो रिश्ते अभी तक
उन रिश्तों में कांटा सा कोई चुभें लगा है।
चू लेना चाहता था में जिस आस्मान को।
उसे आज फिर से सूरज निगलने लगा है।
हँसा था हर बात पे उसकी में जी भर के।
आज वहीं आँसू का सैलाब निकलने लगा है।
बदल दूंगा दुनिया यह सोचा था एक दिन.
हारकर मेरा मिजाज़ भी बदलने लगा है।
साथ सबके मैं चलने की रखता था चाहत।
तनहा सा मेरा जीवन अब चलने लगा है।
1 comment:
ultimate!!!
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