Friday, February 22, 2008

उनको तो बस माँ की आज़ादी का जोश था !!!

उस रोज आसमान का रंग तिरंगे सा था।
शहजादे देर से उठे, नशे का सुर्रोर बाकी था।
खोल के बाहें उसने भरपूर अंगडाई ली।
धुप की किरने उसने हाथो से छुपा ली।
चाय का प्याला उबासी से पहले लिया।
लव यू मोम का कोम्प्लिमेंट उसने माँ को दिया।

उस तरफ़ बस्ती में अजीब सा शोर था।
आधी नींद में जागे बच्चो का जोर था।
सब मिलकर वंदे मातरम गाने लगे थे।
आज़ादी का जश्न युही मनाने लगे थे।
नंगे पाँव, फटी शर्ट का नहीं उनको होश था।
उनको तो बस माँ की आज़ादी का जोश था।

भावार्थ ...

No comments: