Tuesday, February 12, 2008

कुरेदोगे हकीकत को जो कभी, तो रो पड़ोगे !!!

देखोगे हर चीज़ को नजदीक से, तो रो पड़ोगे.
कुरेदोगे हकीकत को जो कभी, तो रो पड़ोगे।

यह रिश्ते जो तुम निभाते हो हेर रोज यहाँ।
टटोलोगे तन्हाई में इनको कभी, तो रो पड़ोगे।

तुम खुश हो कि वो हस के मिलते हैं तुमसे।
जान जाओगे उनके इरादे कभी, तो रो पड़ोगे।

पूजते हो जिस मूरत को दिल के मंदिर में।
झाँका जो इंसान उसमें कभी, तो रो पड़ोगे।

बटोरते हो जिसे खरा सोना समझ ज़िंदगी भर।
परखा जो कभी उसे तुमने अगर, तो रो पड़ोगे।

जीतने का नशा बुरा है दीवानिगी कि हद तक।
हार का जशन जब भी मनाओगे, तो रो पड़ोगे।

बेवफाई का सिला भी नहीं दे सकते बेवफा को।
हस के मिलना भी चाहोगे अगर , तो रो पड़ोगे।

देखोगे हर चीज़ को नजदीक से, तो रो पड़ोगे।
कुरेदोगे हकीकत को जो कभी, तो रो पड़ोगे।

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