पंछी बनके सफर-ऐ-तन्हाई का तो मजा कुछ और है।
उस पतंग की उमंग-ऐ-परवाज़ का मजा कुछ और है।
ख्वाब की नज़र से तो बस बालिश्त भर है आसमान।
दूर उड़ते बादलो को बस छूलेने का मजा कुछ और है।
न रीतो का पहरा हो और न रिवाजों की बेडी हो तो।
फ़िर जश्न-ऐ-आज़ादी मनाने का मजा कुछ और है।
इश्क-ऐ-खुदाई बन जाए 'वरक' किताब-ऐ-जिंदगी का।
तो ख़ुद 'स्याही' बन के लिख जाने का मजा कुछ और है।
धुन बन जाए साँसे और रूह बन जाए जो छेडा राग कोई।
बांसुरी तो कभी ढोलक बन बजने का मजा कुछ और है।
जब लग जाए अटूट लगन उस नटखट कान्हा से फ़िर।
कभी राधा कभी मीरा बन सजने का मजा कुछ और है।
पंछी बनके सफर-ऐ-तन्हाई का तो मजा कुछ और है।
उस पतंग की उमंग-ऐ-परवाज़ का मजा कुछ और है।
भावार्थ...
उस पतंग की उमंग-ऐ-परवाज़ का मजा कुछ और है।
ख्वाब की नज़र से तो बस बालिश्त भर है आसमान।
दूर उड़ते बादलो को बस छूलेने का मजा कुछ और है।
न रीतो का पहरा हो और न रिवाजों की बेडी हो तो।
फ़िर जश्न-ऐ-आज़ादी मनाने का मजा कुछ और है।
इश्क-ऐ-खुदाई बन जाए 'वरक' किताब-ऐ-जिंदगी का।
तो ख़ुद 'स्याही' बन के लिख जाने का मजा कुछ और है।
धुन बन जाए साँसे और रूह बन जाए जो छेडा राग कोई।
बांसुरी तो कभी ढोलक बन बजने का मजा कुछ और है।
जब लग जाए अटूट लगन उस नटखट कान्हा से फ़िर।
कभी राधा कभी मीरा बन सजने का मजा कुछ और है।
पंछी बनके सफर-ऐ-तन्हाई का तो मजा कुछ और है।
उस पतंग की उमंग-ऐ-परवाज़ का मजा कुछ और है।
भावार्थ...
2 comments:
bahut sunder shabdo ko piro diya hai aapne
bhaav b sunder hai
badhaaee
thanx manvinder....
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