खता मैंने को’ई भारी नहीं की।
अमीर-ऐ-शहर से यारी नहीं की।
किसी मंसब किसी ओहदे की खातिर।
कोई तब्दीर बाजारी नहीं की।
बस इतनी सी बात पे दुनिया खफा है।
एक मैंने तुझसे गद्दारी नहीं की।
मेरी बातों में क्या तासीर होती।
मैंने कभी अदाकारी नहीं की।
मेरे ऐबों को गिनवाया तो सबने।
पर किसी ने गम-ख्वारी नहीं की।
ताबिश मेहदी...
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