स्वर्ग मैं आग लग गई ये ख़बर आई।
सोच सोच कर मुझे रात नीद न आई।
सेकडो कोसो दूर है शिव-आलय घर से।
फ़िर भी चीख रेल की सीटी के साथ आई।
माँओं की सिसकियाँ सुबह गीली कर गई ।
लोगो की हा हा कर रौशनी बन कर गिरी।
दिन इंतेशार के शोर से जाग उठा शायद।
पर सोच सोच कर मुझे रात नीद न आई।
स्वर्ग मैं आग लग गई ये ख़बर आई।
भावार्थ...
1 comment:
nice thought.
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