Tuesday, August 5, 2008

वो आई तो बड़ी बेरुखी से।

वो आई तो बड़ी बेरुखी से।
मेरे समंदर में सामने को।
जब आंसू रहे न आहें बची।
मेरे गम को सुनाने को।
अँधेरा साँसों में घुलने लगा।
वो आई नींद में सुलाने को।
आँखें ख्वाब में खुली थी।
बेवफा की झलक पाने को।
आगोश सूना सूना पड़ा था।
उसका एहसास पाने को।
जिंदगी की तमन्ना थी जब।
मौत आई मुझे अपनाने को।

भावार्थ...

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