ऐसे जलता है जिया जैसे दिया।
जी न सकूं अब मैं तनहा ओ पिया।
बैचैन मेरे मन का मयूरा।
लगता है तनहा जीवन अधूरा।
तन में दबी है विरह की ज्वाला।
अब तो पिला दे अधरों का प्याला।
तृष्णा पुकारे सुन बैरिया।
ऐसे जलता है जिया जैसे दिया।
जी न सकूं मैं तनहा ओ पिया।
ऐसे जलता है जिया जैसे दिया।
तू है अकेला मैं हूँ अकेली।
सुनी पड़ी है सारी हवेली।
बेताबियों को पल मैं सबर है।
अब होनी वाली जल्दी शहर है।
दूरी मिटा दे मिलकर आ साथिया।
ऐसे जलता है जिया जैसे दिया।
जी न सकूं मैं ओ तनहा पिया।
ऐसे जलता है जिया जैसे दिया।
फ़िल्म -१९२०,
२००८
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