Thursday, August 7, 2008

कौन हूँ मैं कौन हूँ मैं ?



किसी ने निखत कहा मुझे।
तो किसी का गुल बनी हूँ मैं।
किसीने मय का नशा कहा मुझे।
किसी की इश्क-ऐ-मूरत बनी हूँ मैं।

किसी की नूर बन जियी हूँ मैं।
तो किसी की हूर बनी हूँ मैं।
ख्वाब-ऐ-तरब में पली हूँ मैं तो।
जिस्म-ऐ-तलब भी बनी हूँ मैं।

किसी
की इबादत हूँ मैं तो।
कोई मोहब्बत-ऐ-शरर कहे मुझे।
किसी का सुरूर बन जियी हूँ मैं
कोई हुस्न बेपनाह कहे मुझे।

कोई
ख्वाब का पैगाम कहे।
कोई हाथो में मुझे थाम ले।
कोई शोख अप्सरा कहे मुझे।
कोई आगोश में मुझे बाँध ले।

यु तो कितने नाम है मेरे।
फ़िर भी में बे-उनमान हूँ मैं।
मेरी शक्ल जानते हैं सभी।
जीती फ़िर भी 'गुमनाम' हूँ मैं।

भावार्थ....
निखत: खुशबू
मय: शराब
ख्वाब-ऐ-तरब : Beauty of dream
जिस्म-ऐ-तलब: Addiction
इबादत: Prayer
मोहब्बत-ऐ-शरर: Spark of Love
बे-उनमान: Without Title....


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