एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Thursday, August 28, 2008
मेरे तेरे रिश्ते को बहुत से नाम दिए गए। कितने ही तरह से हम बदनाम किए गए।
मेरे हालत भी मुफलिसी का शिकार थे । मेरे इरादे भी नामो-निशाँ से मिटाए गए।
तेरे ख्याल ही थे वो जिनसे मैं जिन्दा था। मजूरियों के सहारे वो जेहेन से हटाये गए।
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