नक़श फ़रयादी है किस की शोख़ी-ए तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए तसवीर का
काव-काव-ए सख़त-जानीहा-ए तनहाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए शीर का
जज़बह-ए बे-इख़तियार-ए शौक़ देखा चाहिये
सीनह-ए शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
आगही दाम-ए शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुदद`आ `अनक़ा है अपने `आलम-ए तक़रीर का
बसकि हूं ग़ालिब असीरी में भी आतिश ज़ेर-ए पा
मू-ए आतिश-दीदह है हलक़ह मिरी ज़नजीर का
...मिर्जा गालिब
1 comment:
solid urdu!!
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