वो मुझसे मिल कर उख्ता गया शायद...
उसने न मिलने का फरमान भेजा है...
खतो में मेरे वो रानायिया नहीं अब ...
मेरे ख़त के पुर्जो का सामान भेजा है...
इंसान है कब तक दिल को बहलाए ...
हकीकत में जीने का पैगाम भेजा है...
मेरी मासूमियत में अब वो बात नहीं...
संजीदगी संजोने का पयाम भेजा है...
भावार्थ...
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