अबके दौर में ऐसी गलतियाँ नहीं होती...
कत्ल करने वालो को फासियाँ होती है...
हर तरफ गरीबो की बस्तियां ही जलती है...
बर्क़ के निशाने पे कोठियां नहीं होती...
और होंगे जो तेरी धमकियों से डर जाएँ...
मर्द की कलाई में चूडियाँ नहीं होती...
लाख वो कहें फ़िर भी कैसे आप के होंगे...
वर्फ की चट्टानों पे खेतियाँ नहीं होती...
नींद कैसे आएगी ऐसे बाप को राही...
बेटियों की गुरबत में शादियाँ नहीं होती...
राही बस्तावी...
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