आज "नर्मदा माता" को हथियाने लुटेरे आए ...
पर मेधा दीदी हमारी लक्ष्मी बाई है...
गांधीजी ही तो मारे गोडसे ने गोली से...
उनके विचार आज भी तैरते रहते है...
सुना है दीदी के साथ लेखिका दीदी भी हैं...
जो कलम से तख्ता-पलट कर सकती हैं...
दीदी हैं तो हमारी नदी कोई नहीं छीन सकता...
हमारी नर्मदा माता और मेधा दीदी !!!
इतवार की सुबह जब देर तक लोग सोये...
एक ही दिन तो है आराम का...
देर तलक अखबार और चाय की चुस्कियां...
पर ये आज कल के लड़के इधर क्यों आ रहे हैं...
कोई काम धाम नही है क्या इनपे...
अरे ये तो कल के होने वाले डॉक्टर हैं...
"दो बूँद जीवन की"बाँट रहे थे घर घर जा कर...
डॉक्टर दीदी को बच्चो ने घेर लिया...
माएं ले आए अपने नन्हे मुन्नों को...
डॉक्टर दीदी हैं तो पोलियो कहाँ से आएगा...
"दो बूँद जीवन की" और डॉक्टर दीदी !!!
शहर का वो नाला जहाँ पूरे शहर की गन्दगी...
ऐसे निकलती है जैसे वोह घूरा हो...
उसे लगी एक झुग्गी-बस्ती है जो शहर का हिस्सा है...
नाले की बदबू उनको अब महसूस नहीं होती...
उनकी साँसे उसे पहचान चुकी है...
वहां शहर का कोई नहीं आता...
वहां बचपन है, खुशियाँ है, जिंदगी भी है...
कुछ लोग "पढ़े लिखे शहरी" बच्चो को पढ़ने आते हैं...
हर रोज सुबह बच्चो की उम्मीद परवाज़ लेती है...
अपने शहरी दीदी की पाठशाला में...
शहरी दीदी और झुग्गी की पाठशाला !!!
इन्कलाब अब यु ही आएगा...
किसी का इंतज़ार बेवकूफी है...
कुछ बूँद इन्कलाब की तुम दो...
कुछ बूँद इन्कलाब की हम दे ...
आ ही जायेगा इन्कलाब इक दिन !!!
...भावार्थ
2 comments:
very nice and really a very good one!
it takes time ...but it gives positive results,and that is for sure.
very nice and really a very good one!
it takes time ...but it gives positive results,and that is for sure.
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