Sunday, January 11, 2009

कुछ ढूढता हूँ !!!

मुझे अपने आगोश मैं छुपा ले कुछ पल को...
सरहदों से लौटा हूँ थोड़ा सा सुकून ढूढता हूँ...

यही फर्क है तुम्हारी और मेरी मोहब्बत में...
तुम मुझमें लम्हे और मैं तुममे उम्र ढूढता हूँ...

समंदर हो तुम्हे क्या मालूम कीमत पानी की ...
मैं तो एक पपीहा हूँ बस कुछ एक बूँद ढूढता हूँ...

तू नहीं, तेरी याद नहीं, कोई निशानी भी नहीं ...
अब मैं साँस लेने को तेरी कोई तस्वीर ढूढता हूँ...

मुर्दे जिंदगी को खुली आंखों से देखते हैं शायद...
दूर तक फैली लाशो मैं कुछ एक जिंदगी ढूढता हूँ...

इश्तहारों से मेरे चर्चे हर एक कूंचे पे हैं आम हुए...
मिला जिससे ये दोखा वोही हमराज ढूढता हूँ...

भावार्थ...

2 comments:

Anonymous said...

tujh mein umar dhudhndhata hun waah bahut khub

Ajay Kumar Singh said...

thnx mehek !!!