Tuesday, January 27, 2009

मेरा साया !!!

मेरा साया कई दिनों से तनहा था ...
दिन मेरा भागते भागते हांफ जाता है...
और रात दिन के थकन मिटाने में...
आज जब मुझे उसके न होने का एहसास हुआ...
तो रात के अंधेरे में टटोलने निकल पड़ा हूँ...
शायद मेरा साया कहीं मिल जाए...
रात को साए नहीं मिलते सिर्फ़ तन्हाई मिलती है...

...भावार्थ

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