Tuesday, July 1, 2008

आख़िर क्यों ?

आख़िर क्यों ?

क्यों जुबान सामर्थ्य से बंधी है।
क्यों मुस्कान हासिल से जुड़ी है।
क्यों रिश्ते कर्ज चुकाना सा है।
क्यों मर जन आसान सा है।
आख़िर क्यों ?

क्यों भूख आखों में आँसू भरती है।
क्यों जुदाई ये गला मेरा भरती है।
क्यों अरमान भूल ले आते हैं।
क्यों लोग एकतरफा प्यार पाते है।

आख़िर क्यों ?

क्यों अफ़सोस पलके भिगोता है।
क्यों कभी जोश रुयें खड़े करता है।
क्यों चुभन मुह में आह भर देती है।
क्यों तलाश नए आसमान खोज लेती है।

आख़िर क्यों ?

4 comments:

Anonymous said...

क्यों अफ़सोस पलके भिगोता है।
क्यों कभी जोश रुयें खड़े करता है।
क्यों चुभन मुह में आह भर देती है।
क्यों तलाश नए आसमान खोज लेती है।
bhut sundar. likhate rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

E-Guru Maya said...

क्यों आप लिखते हो,
क्यों हम चिट्ठे पर आते हैं,
क्यों टिपण्णी करते हैं,
क्यों आपको पसंद करते हैं. !!

Ajay Kumar Singh said...

Thanks !!! Rashmi... I do not know how to remove the word verification...

Ajay Kumar Singh said...

Thanks a lot !!! A e-guru Maya....