मेरे नन्हे से प्यारे ख्वाब।
क्या तुम मेरे जैसे हो ?
मेरे प्यार के ऐ निशाँ।
क्या तुम मेरे जैसे हो ?
मेरी साँसे तुम्हारी साँसे।
बन के ये कैसे रहती है ?
मेरी आहें तुम्हारी आहें।
बन के ये कैसे बहती हैं ?
तुम अजनबी से वजूद।
कैसे मेरे वजूद में समाये हो ?
तुम नन्हे से रिश्ते।
कैसे मेरी जिंदगी में आए हो ?
मेरे भीतर का ये खून।
तेरी रगों में कैसे बहता है ?
मेरे प्यार का असर।
तेरी जिगर में कैसे रहता है ?
तुम बिनदेखी हकीक़त।
क्या कोई खुदा हो ?
तुम मांगी हुई मन्नत ?
क्या कोई फ़रिश्ता हो ?
मेरे नन्हे से प्यारे ख्वाब...
भावार्थ...
2 comments:
tumhara khvyaab mujhe apanaa sa laga .
behad sundar likha hai .
shabdon ka stemaal bahut khoob hai .
Thanks !!! a lot
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