एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Friday, July 4, 2008
फ़िर भी जिंदगी दिशा ढूढती है !!!
हर तरफ़ एक दिशा है। फ़िर भी जिंदगी दिशा ढूढती है।
यु तो मुस्कराहट तैरती है। फ़िर भी नज़र मेरी खुशी ढूढती है।
मंजिल करीब सी लगती है। फ़िर भी नौका मेरी किनारे ढूढती है।
दर्द भर देती है जिसकी यादें। फ़िर भी रातें उसी के निशाँ ढूढती है। भावार्थ...
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