ख्वाइशै रूठी है मुझसे।
अरमान गुमसुम से हैं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
बातें चुप सी बैठी हैं मेरी।
चाहतें छुप सी गई हैं कहीं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
वफ़ा आगोश में नही मेरे।
प्यार मुँह फेर कर बैठा है।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
मीठी यादें बुत बन गई।
साया मुझसे नाराज है मेरा।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
ख्वाइशै रूठी है मुझसे।
अरमान गुमसुम से हैं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
भावार्थ..
अरमान गुमसुम से हैं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
बातें चुप सी बैठी हैं मेरी।
चाहतें छुप सी गई हैं कहीं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
वफ़ा आगोश में नही मेरे।
प्यार मुँह फेर कर बैठा है।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
मीठी यादें बुत बन गई।
साया मुझसे नाराज है मेरा।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
ख्वाइशै रूठी है मुझसे।
अरमान गुमसुम से हैं।
न जाने क्यों ? न जाने क्यों ?
भावार्थ..
2 comments:
bahut sundar rachanaa hai.
Thanks Paramjeet Ji....
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