हर साख पे उल्लू बौठा है क्यू सोचूँ।
गुलिस्तान का क्या अंजाम है।
दो रुई डाल के चलता हूँ में तो।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
मेरे गाल पे जब कोई एक रखता है।
जैसे को तैसा का क्या पैगाम है।
गुलिस्तान का क्या अंजाम है।
दो रुई डाल के चलता हूँ में तो।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
मेरे गाल पे जब कोई एक रखता है।
जैसे को तैसा का क्या पैगाम है।
में उसके कंटा पे दो रख देता हूँ।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
कौन है पापी यहाँ कोई नहीं।
हर पापी यहाँ तो भजता राम है।
ढोंगी दुनिया सारी है बस ऐसी।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
कौन है पापी यहाँ कोई नहीं।
हर पापी यहाँ तो भजता राम है।
ढोंगी दुनिया सारी है बस ऐसी।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
दूसरो का भला करे कौन यहाँ।
अपने सी ही भरा हर इंसान है।
खाओ पियो और सो जाओ।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
भावर्थ...
अपने सी ही भरा हर इंसान है।
खाओ पियो और सो जाओ।
आख़िर जीना इसी का नाम है।
भावर्थ...
1 comment:
jindgi ka kadwa sach yhi hai .
jeeo mere laal !!!
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