इन्कलाब क्या है !!!
कितने ही अबतक अतीम बन गए।
कोई कर्ज की बलि चढा।
तो कोई अपनों की हिफाज़त की।
कोई भूख की चपेट में आ गया।
तो कोई हमसफ़र की तलाश में।
किसी को कोई सुनने वाला न था।
तो किसी को कोई अपनाने वाला न था।
इन्कलाब हलक से भी न निकला।
गला ख़ुद इतना प्यासा था।
कितने इन्कलाब सोच में दफ़न हैं।
और कितने बस जीने की धुन में।
खैर आदमी तो जी ही रा है न।
इन्कलाब तो एक जज्बा है ।
इन्कलाब जो अब मर चुका है !!!
इन्कलाब और कुछ भी नहीं !!!
भावार्थ...
एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Wednesday, July 30, 2008
इन्कलाब क्या है !!!
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