हर पेड़ भी इंसान की तरह दूसरे से जुदा है।
लगता है इनमें भी हमारी ही तरह खुदा है।
कुछ बगीचे में उगते है तो कुछ वीरानो में।
कुछ रेतो में तो कुछ हरे-भरे मैदानों में।
कुछ बागो में अपनों के बीच निखरते हैं।
तो कुछ तनहा कहीं जिंदगी बसर करते हैं।
कोई फूल से सवारने का हुनर रखता है।
तो कोई कांटो से अपना सजर रखता है।
कोई उनमें से पूजा और खुदा माना जाता है।
तो कोई दूर खड़ा कहीं "अछूत" कहा जाता है।
भावार्थ...
3 comments:
कुछ बागो में अपनों के बीच निखरते हैं
तो कुछ तनहा कहीं जिंदगी बसर करते हैं.
bahut hi sundar badhai
बहुत बढिया!
कुछ बागो में अपनों के बीच निखरते हैं।
तो कुछ तनहा कहीं जिंदगी बसर करते हैं।
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thanks !!! Mahendra ji n Paramjeet ji...
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