Sunday, July 20, 2008

मैंने अपनी उम्मीदो के मेयार बदले !!!

में जो ख़ुद को न बदल पाया तो।
मैंने अपनी उम्मीदो के मेयार बदले।

रास्ते ही मेरे होसले लील गए।
मंजिल पे मैंने अपने इरादे बदले।

आदतें जैसे अब नब्ज़ बन गयी थी।
मैंने अपने सुधरने के ख्याल बदले।

सब कुछ खो कर मैंने जिसे पाया।
हालत देख मेरी उसके मिजाज़ बदले।

भावार्थ...

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

bahut badhiyaa!

आदतें जैसे अब नब्ज़ बन गयी थी।
मैंने अपने सुधरने के ख्याल बदले।

Ajay Kumar Singh said...

Thanks Paramjeet ji !!! u r I guess avid reader of poems....

Its gud...

Dheeraj Pandey said...

i think you are under exposed.you are a great poet.