ये यादें हैं , बरसाते हैं।
तेरी दी सब सौगातें हैं।
क्योंकि एक तू ही नहीं है...
ये आँसू हैं, ये आहें हैं।
एहसासों की बाहें हैं।
क्योंकि एक तू ही नहीं है...
ये हिज्र है ये कसक है।
तन्हाई हर पल एक है।
क्योंकि एक तू ही नहीं है...
ये चुभन है, अगन है।
और ये जलाती जलन है।
क्योंकि एक तू ही नहीं है...
ये साँस है ये एहसास है।
पर जीने का न कोई आस है।
क्योंकि एक तू ही नहीं है...
भावार्थ...
2 comments:
बहुत सुंदर. लिखते रहे.
आप अपना वर्ड वेरिफिकेशन हटा ले ताकि हमको टिपनि देने मे आसानी हो.
Thanks a lot Rashmi !!!
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