Thursday, December 22, 2011

बोधि का बोध !!!

साढ़े तीन हाथ की काया...
कोस कोस उसकी है माया...

उठ गिर रही सांस अनाया...
बोलो उसको कौन है जाया...

रोम रोम में राम समाया...
पल पल बदल रही है काया...

जिसने भीतर ध्यान लगाया...
उसने नश्वर सब जग पाया...

ये संवेदन जो नर कर पाया...
ये बोध हुआ तो बुद्ध कहलाया...

भावार्थ...



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