बंद होठों से बोलना सिखा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
ठहरा हुए दिल-ए-समंदर में मेरे...
संग-ए-उल्फत गिरा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
नूर-ए-इलाही की ख्हयिश थी ...
खायिश-ए-जिस्म जगा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
गुना-भाग का हुनर था हममें...
इक शौक-ए- इश्क लगा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
सब को पढ़ता था किताब-ए-जेहेन...
बाब-ए-मोहब्बत सिखा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
आज़ाद रूह थी 'भावार्थ' तेरी...
पैराहन-ए-इश्क उढ़ा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
भावार्थ...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
ठहरा हुए दिल-ए-समंदर में मेरे...
संग-ए-उल्फत गिरा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
नूर-ए-इलाही की ख्हयिश थी ...
खायिश-ए-जिस्म जगा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
गुना-भाग का हुनर था हममें...
इक शौक-ए- इश्क लगा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
सब को पढ़ता था किताब-ए-जेहेन...
बाब-ए-मोहब्बत सिखा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
आज़ाद रूह थी 'भावार्थ' तेरी...
पैराहन-ए-इश्क उढ़ा गया वो...
जाते जाते नज़र मिला गया वो...
भावार्थ...
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