Sunday, January 1, 2012

नव-वर्ष को हार्दिक शुभकामनाएं !!!

गर दर्द-ए-आम  एक सवाल हो...
काश न ऐसा कोई साल हो...

हुकुमरान कैद में नज़र आयें...
बाशिंदे गैल पर नज़र आयें...
भ्रष्ट क़ुतुब पे तुलिका बजायें...
गर रोज इतना ही बवाल हो...
काश न ऐसा कोई साल हो...

कोई भूख अब असहनीय हो गयी...
क्यों दाल-सब्जी पकवान हो गयी...
क्यों हरित देश से हरियाली खो गयी...
गर आबादी का ऐसा हाल हो..
काश न ऐसा कोई साल हो...

क्यों बच्चे शिक्षा की कतारों में हैं...
शिक्षा बिहीन शिक्षित हजारों में है...
गुरुकुल का खाब बस किताबों में है...
गर भारत का कल बदहाल हो...
काश न ऐसा कोई साल हो...

विछिप्त नहीं हो तुम बस सोये हो...
कनक पे पीतल का पर्दा संजोये हो...
शक्ति भूल खुद की माया में खोये हो...
हर दिल में जुनूँ हाथ में मशाल हो...
काश आने वाला ऐसा हर साल हो...

बसखुद को बदलने का ख्याल हो..
काश आने वाला ऐसा हर साल हो...

भावार्थ
( नव-वर्ष को हार्दिक शुभकामनाएं)

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