तुम रहने ही दो !!!
क्या हुआ जो तुमने एक वादा किया...
मेरे साथ मोहब्बत का इरादा किया...
सह न पाओगी दर्द-ओ-गम...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
तन्हाईयाँ हैं इसमें हज़ार...
करना पड़ेगा खुद को निसार...
निभा न पाओगी एक कसम...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
टूट कर रेत सा बिखरना पड़ेगा...
ज़माने के तल्ख़ को सहना पड़ेगा...
भर न पाओगी चाक-ओ-जख्म...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
बन न पाओगी तुम हमदम...
तुम रहने ही दो !!!
भावार्थ...
क्या हुआ जो तुमने एक वादा किया...
मेरे साथ मोहब्बत का इरादा किया...
सह न पाओगी दर्द-ओ-गम...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
तन्हाईयाँ हैं इसमें हज़ार...
करना पड़ेगा खुद को निसार...
निभा न पाओगी एक कसम...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
टूट कर रेत सा बिखरना पड़ेगा...
ज़माने के तल्ख़ को सहना पड़ेगा...
भर न पाओगी चाक-ओ-जख्म...
चल न पाओगी दो कदम...
तुम रहने ही दो...
बन न पाओगी तुम हमदम...
तुम रहने ही दो !!!
भावार्थ...
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