Thursday, December 15, 2011

मिर्ज़ा ग़ालिब !!!

इशरत-ए-कतरा है दरिया में फना हो जाना...

दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना...

मिर्ज़ा ग़ालिब !!!

वो नए गिले वो शिकायतें वो मज़े मज़े की हिकायतें


वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो की न याद हो...

मोमीन !!!



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