दोस्तों से बेवजह ही मिलने में कैफ मिलता है...
सिर्फ़ मकसद के लिए हमसे मिलने न आया करो...
गम की फितरत ही है तन्हाई मैं उफनने की ...
सर्द रातें बिन हमारे कहकहों के न गुज़ारा करो...
तुम्हारे दर्दो से भी मुझे उतनी ही मोहब्बत है...
सिर्फ़ खुशियाँ बिखेरने मेरे यहाँ न आया करो...
दोस्त मानते भी हो या सिर्फ़ कहते ही हो मुझे...
रूह को कुरेदती बातो को भी हमें बताया करो...
मेरे पास भी अगर तुम्हारे राज महफूज नहीं है...
तो मय के नशे मैं उन्हें तुम बडबडाया न करो...
रूठने और मनाने से रिश्तो की कशिश रहती है...
पर रूठने और मनाने मैं फासला बढाया न करो...
दोस्ती खुदा का बेनाब तोहफा है जिंदगी को दोस्त ...
बेशकीमती एहसासों को युही तुम जाया न करो...
भावार्थ...
3 comments:
मेरे पास भी अगर तुम्हारे राज महफूज नहीं है...
तो मय के नशे मैं उन्हें तुम बडबडाया न करो...
bahut sundar bahut khub kalam ka jadu chad raha hai..........
Thanks a lot akshay !!!
sahi jaa rahe ho dost!!keep it up!!
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